moon_light3 نائبة المديرة
sms : رَبِّ لَا تَذَرْنِي فَرْداً وَأَنتَ خَيْرُ الْوَارِثِينَ
الجنس : عدد المساهمات : 31908 تاريخ التسجيل : 10/06/2011 الموقع : القفطان المغربي العمل/الترفيه : طالبه المزاج : هادئه جدا
| موضوع: سورة الفتح-ترجمه هنديه الأربعاء سبتمبر 12, 2012 6:21 am | |
| ﴿ بِسْمِ اللّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ ﴾إِنَّا فَتَحْنَا لَكَ فَتْحًا مُّبِينًا ﴿1﴾ لِيَغْفِرَ لَكَ اللَّهُ مَا تَقَدَّمَ مِن ذَنبِكَ وَمَا تَأَخَّرَ وَيُتِمَّ نِعْمَتَهُ عَلَيْكَ وَيَهْدِيَكَ صِرَاطًا مُّسْتَقِيمًا ﴿2﴾ وَيَنصُرَكَ اللَّهُ نَصْرًا عَزِيزًا ﴿3﴾ هُوَ الَّذِي أَنزَلَ السَّكِينَةَ فِي قُلُوبِ الْمُؤْمِنِينَ لِيَزْدَادُوا إِيمَانًا مَّعَ إِيمَانِهِمْ وَلِلَّهِ جُنُودُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَكَانَ اللَّهُ عَلِيمًا حَكِيمًا ﴿4﴾ لِيُدْخِلَ الْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا وَيُكَفِّرَ عَنْهُمْ سَيِّئَاتِهِمْ وَكَانَ ذَلِكَ عِندَ اللَّهِ فَوْزًا عَظِيمًا ﴿5﴾ وَيُعَذِّبَ الْمُنَافِقِينَ وَالْمُنَافِقَاتِ وَالْمُشْرِكِينَ وَالْمُشْرِكَاتِ الظَّانِّينَ بِاللَّهِ ظَنَّ السَّوْءِ عَلَيْهِمْ دَائِرَةُ السَّوْءِ وَغَضِبَ اللَّهُ عَلَيْهِمْ وَلَعَنَهُمْ وَأَعَدَّ لَهُمْ جَهَنَّمَ وَسَاءتْ مَصِيرًا ﴿6﴾ وَلِلَّهِ جُنُودُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَكَانَ اللَّهُ عَزِيزًا حَكِيمًا ﴿7﴾ إِنَّا أَرْسَلْنَاكَ شَاهِدًا وَمُبَشِّرًا وَنَذِيرًا ﴿8﴾ لِتُؤْمِنُوا بِاللَّهِ وَرَسُولِهِ وَتُعَزِّرُوهُ وَتُوَقِّرُوهُ وَتُسَبِّحُوهُ بُكْرَةً وَأَصِيلًا ﴿9﴾ إِنَّ الَّذِينَ يُبَايِعُونَكَ إِنَّمَا يُبَايِعُونَ اللَّهَ يَدُ اللَّهِ فَوْقَ أَيْدِيهِمْ فَمَن نَّكَثَ فَإِنَّمَا يَنكُثُ عَلَى نَفْسِهِ وَمَنْ أَوْفَى بِمَا عَاهَدَ عَلَيْهُ اللَّهَ فَسَيُؤْتِيهِ أَجْرًا عَظِيمًا ﴿10﴾ سَيَقُولُ لَكَ الْمُخَلَّفُونَ مِنَ الْأَعْرَابِ شَغَلَتْنَا أَمْوَالُنَا وَأَهْلُونَا فَاسْتَغْفِرْ لَنَا يَقُولُونَ بِأَلْسِنَتِهِم مَّا لَيْسَ فِي قُلُوبِهِمْ قُلْ فَمَن يَمْلِكُ لَكُم مِّنَ اللَّهِ شَيْئًا إِنْ أَرَادَ بِكُمْ ضَرًّا أَوْ أَرَادَ بِكُمْ نَفْعًا بَلْ كَانَ اللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرًا ﴿11﴾ بَلْ ظَنَنتُمْ أَن لَّن يَنقَلِبَ الرَّسُولُ وَالْمُؤْمِنُونَ إِلَى أَهْلِيهِمْ أَبَدًا وَزُيِّنَ ذَلِكَ فِي قُلُوبِكُمْ وَظَنَنتُمْ ظَنَّ السَّوْءِ وَكُنتُمْ قَوْمًا بُورًا ﴿12﴾ وَمَن لَّمْ يُؤْمِن بِاللَّهِ وَرَسُولِهِ فَإِنَّا أَعْتَدْنَا لِلْكَافِرِينَ سَعِيرًا ﴿13﴾ وَلِلَّهِ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ يَغْفِرُ لِمَن يَشَاء وَيُعَذِّبُ مَن يَشَاء وَكَانَ اللَّهُ غَفُورًا رَّحِيمًا ﴿14﴾ سَيَقُولُ الْمُخَلَّفُونَ إِذَا انطَلَقْتُمْ إِلَى مَغَانِمَ لِتَأْخُذُوهَا ذَرُونَا نَتَّبِعْكُمْ يُرِيدُونَ أَن يُبَدِّلُوا كَلَامَ اللَّهِ قُل لَّن تَتَّبِعُونَا كَذَلِكُمْ قَالَ اللَّهُ مِن قَبْلُ فَسَيَقُولُونَ بَلْ تَحْسُدُونَنَا بَلْ كَانُوا لَا يَفْقَهُونَ إِلَّا قَلِيلًا ﴿15﴾ قُل لِّلْمُخَلَّفِينَ مِنَ الْأَعْرَابِ سَتُدْعَوْنَ إِلَى قَوْمٍ أُوْلِي بَأْسٍ شَدِيدٍ تُقَاتِلُونَهُمْ أَوْ يُسْلِمُونَ فَإِن تُطِيعُوا يُؤْتِكُمُ اللَّهُ أَجْرًا حَسَنًا وَإِن تَتَوَلَّوْا كَمَا تَوَلَّيْتُم مِّن قَبْلُ يُعَذِّبْكُمْ عَذَابًا أَلِيمًا ﴿16﴾ لَيْسَ عَلَى الْأَعْمَى حَرَجٌ وَلَا عَلَى الْأَعْرَجِ حَرَجٌ وَلَا عَلَى الْمَرِيضِ حَرَجٌ وَمَن يُطِعِ اللَّهَ وَرَسُولَهُ يُدْخِلْهُ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ وَمَن يَتَوَلَّ يُعَذِّبْهُ عَذَابًا أَلِيمًا ﴿17﴾ لَقَدْ رَضِيَ اللَّهُ عَنِ الْمُؤْمِنِينَ إِذْ يُبَايِعُونَكَ تَحْتَ الشَّجَرَةِ فَعَلِمَ مَا فِي قُلُوبِهِمْ فَأَنزَلَ السَّكِينَةَ عَلَيْهِمْ وَأَثَابَهُمْ فَتْحًا قَرِيبًا ﴿18﴾ وَمَغَانِمَ كَثِيرَةً يَأْخُذُونَهَا وَكَانَ اللَّهُ عَزِيزًا حَكِيمًا ﴿19﴾ وَعَدَكُمُ اللَّهُ مَغَانِمَ كَثِيرَةً تَأْخُذُونَهَا فَعَجَّلَ لَكُمْ هَذِهِ وَكَفَّ أَيْدِيَ النَّاسِ عَنكُمْ وَلِتَكُونَ آيَةً لِّلْمُؤْمِنِينَ وَيَهْدِيَكُمْ صِرَاطًا مُّسْتَقِيمًا ﴿20﴾ وَأُخْرَى لَمْ تَقْدِرُوا عَلَيْهَا قَدْ أَحَاطَ اللَّهُ بِهَا وَكَانَ اللَّهُ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرًا ﴿21﴾ وَلَوْ قَاتَلَكُمُ الَّذِينَ كَفَرُوا لَوَلَّوُا الْأَدْبَارَ ثُمَّ لَا يَجِدُونَ وَلِيًّا وَلَا نَصِيرًا ﴿22﴾ سُنَّةَ اللَّهِ الَّتِي قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلُ وَلَن تَجِدَ لِسُنَّةِ اللَّهِ تَبْدِيلًا ﴿23﴾ وَهُوَ الَّذِي كَفَّ أَيْدِيَهُمْ عَنكُمْ وَأَيْدِيَكُمْ عَنْهُم بِبَطْنِ مَكَّةَ مِن بَعْدِ أَنْ أَظْفَرَكُمْ عَلَيْهِمْ وَكَانَ اللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرًا ﴿24﴾ هُمُ الَّذِينَ كَفَرُوا وَصَدُّوكُمْ عَنِ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ وَالْهَدْيَ مَعْكُوفًا أَن يَبْلُغَ مَحِلَّهُ وَلَوْلَا رِجَالٌ مُّؤْمِنُونَ وَنِسَاء مُّؤْمِنَاتٌ لَّمْ تَعْلَمُوهُمْ أَن تَطَؤُوهُمْ فَتُصِيبَكُم مِّنْهُم مَّعَرَّةٌ بِغَيْرِ عِلْمٍ لِيُدْخِلَ اللَّهُ فِي رَحْمَتِهِ مَن يَشَاء لَوْ تَزَيَّلُوا لَعَذَّبْنَا الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْهُمْ عَذَابًا أَلِيمًا ﴿25﴾ إِذْ جَعَلَ الَّذِينَ كَفَرُوا فِي قُلُوبِهِمُ الْحَمِيَّةَ حَمِيَّةَ الْجَاهِلِيَّةِ فَأَنزَلَ اللَّهُ سَكِينَتَهُ عَلَى رَسُولِهِ وَعَلَى الْمُؤْمِنِينَ وَأَلْزَمَهُمْ كَلِمَةَ التَّقْوَى وَكَانُوا أَحَقَّ بِهَا وَأَهْلَهَا وَكَانَ اللَّهُ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمًا ﴿26﴾ لَقَدْ صَدَقَ اللَّهُ رَسُولَهُ الرُّؤْيَا بِالْحَقِّ لَتَدْخُلُنَّ الْمَسْجِدَ الْحَرَامَ إِن شَاء اللَّهُ آمِنِينَ مُحَلِّقِينَ رُؤُوسَكُمْ وَمُقَصِّرِينَ لَا تَخَافُونَ فَعَلِمَ مَا لَمْ تَعْلَمُوا فَجَعَلَ مِن دُونِ ذَلِكَ فَتْحًا قَرِيبًا ﴿27﴾ هُوَ الَّذِي أَرْسَلَ رَسُولَهُ بِالْهُدَى وَدِينِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهُ عَلَى الدِّينِ كُلِّهِ وَكَفَى بِاللَّهِ شَهِيدًا ﴿28﴾ مُّحَمَّدٌ رَّسُولُ اللَّهِ وَالَّذِينَ مَعَهُ أَشِدَّاء عَلَى الْكُفَّارِ رُحَمَاء بَيْنَهُمْ تَرَاهُمْ رُكَّعًا سُجَّدًا يَبْتَغُونَ فَضْلًا مِّنَ اللَّهِ وَرِضْوَانًا سِيمَاهُمْ فِي وُجُوهِهِم مِّنْ أَثَرِ السُّجُودِ ذَلِكَ مَثَلُهُمْ فِي التَّوْرَاةِ وَمَثَلُهُمْ فِي الْإِنجِيلِ كَزَرْعٍ أَخْرَجَ شَطْأَهُ فَآزَرَهُ فَاسْتَغْلَظَ فَاسْتَوَى عَلَى سُوقِهِ يُعْجِبُ الزُّرَّاعَ لِيَغِيظَ بِهِمُ الْكُفَّارَ وَعَدَ اللَّهُ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ مِنْهُم مَّغْفِرَةً وَأَجْرًا عَظِيمًا ﴿29﴾अल्लाह, तो परोपकारी है, दयालु के नाम पर। (1) निश्चित रूप से हम आप के लिए एक स्पष्ट जीत दिया है (2) वह अल्लाह का पालन करने के लिए अपने समुदाय को उनके अतीत और उन गलतियों को माफ कर सकते हैं और आप उनका पक्ष को पूरा करने के लिए और आप एक सही रास्ते पर रखने, (3) और है कि अल्लाह एक शक्तिशाली की मदद के साथ तुम्हारी मदद कर सकते हैं. (4) वह यह कौन विश्वासियों के दिलों में है कि वे विश्वास के और अधिक हो सकता है शांति नीचे भेजा है अपने विश्वास में जोड़ा - और अल्लाह का स्वर्ग और पृथ्वी के मेजबान है, और अल्लाह, समझदार को जानने का है -- (5) है कि वह विश्वास पुरुषों और महिलाओं को जो विश्वास के नीचे नदियों उसमें पालन करने के लिए प्रवाह और उन्हें उनकी बुराई से हटा उद्यान में प्रवेश करने का कारण हो सकता है, और है कि अल्लाह के साथ एक शानदार उपलब्धि है (6) और (कि) वह और पाखंडी महिलाओं, और polytheistic पुरुषों और महिलाओं को polytheistic पाखंडी आदमी को सज़ा मई, अल्लाह के बारे में बुरी सोच के मनोरंजन. पर उन्हें बुरी बारी है, और अल्लाह उनके साथ wroth है और उनके लिए उन्हें और तैयार नरक शापित, और बुराई का सहारा है. (7) और अल्लाह का स्वर्ग और पृथ्वी के मेजबान है, और अल्लाह ताकतवर, समझदार है. (8) निश्चित रूप से हम एक गवाह के रूप में भेजा है और आप अच्छी खबर के एक नेता के रूप में और एक चेतावनी के रूप में, (9) कि तुम अल्लाह और उसकी मैसेंजर में विश्वास कर सकते हैं और उसे सहायता कर सकते हैं और उसे भय और (कि) तुम उसकी महिमा, सुबह और शाम की घोषणा हो सकती है. (10) निश्चित रूप से जो लोग तुम से निष्ठा कसम खाता है लेकिन अल्लाह की निष्ठा कसम खाता हूँ, अल्लाह का हाथ अपने हाथों से ऊपर है. इसलिए जो भी टूट (अपने विश्वास), वह अपनी ही आत्मा को चोट ही इसे टूटता है, और जो कोई भी वह अल्लाह के साथ क्या covenanted है पूरा, वह उसे एक शक्तिशाली पुरस्कार प्रदान करेंगे. (11) उन रेगिस्तान के निवासियों की है जो पीछे छूट गए थे तुम से कहेंगे: हमारी संपत्ति और हमारे परिवारों हमें, इसलिए हमारे लिए माफी पूछने में व्यस्त रखा. वे अपनी जीभ से क्या उनके मन में नहीं है. कहो, तो जो अल्लाह से तुम्हारे लिए कुछ भी नियंत्रित कर सकते हैं अगर वह तुम्हें करना इरादा नुकसान या यदि वह अच्छा तुम करने का इरादा रखता है, अस्वीकार, अल्लाह एहसास है तुम क्या कर में से एक है: (12) इनकार! आप बल्कि यह है कि मैसेन्जर और विश्वासियों उनके परिवारों कभी, पर वापस नहीं होगा और सोचा कि आपके दिलों को fairseeming किया गया था और तुमने सोचा था कि एक बुरा लगा और तुम लोगों को नाश करने के लिए बर्बाद किया गया. (13) और जो कोई भी उनके मैसेन्जर और अल्लाह में विश्वास नहीं करता है, तो निश्चित रूप से हम अविश्वासियों के लिए आग जला बनाया है. (14) और अल्लाह का साम्राज्य है. आकाश और पृथ्वी की, वह वह जिसे चाहे क्षमा और वह जिसे चाहे सज़ा देता है, और अल्लाह क्षमा, दयालु है. (15) जो लोग जब आप आगे के अधिग्रहण का फायदा: हमें अनुमति के लिए निर्धारित कहेंगे पीछे रह गए हैं (जो) हम तुम्हारे पीछे हो सकता है. वे अल्लाह की दुनिया को बदलने की इच्छा. कहो: से कोई मतलब है तुम हमें का पालन करेंगे; इस प्रकार अल्लाह किया कहने से पहले. लेकिन वे कहेंगे: अस्वीकार! तुम हम में से जलन हो रही है. इनकार! वे, लेकिन एक छोटी सी समझ में नहीं आता. (16) उन रेगिस्तान के निवासियों के जो पीछे रह गए थे करने के लिए कहो: आप जल्दी () एक शक्तिशाली लोगों कौशल रखने के खिलाफ लड़ने के लिए, जब तक वे प्रस्तुत तुम उनके खिलाफ लड़ना होगा, तो अगर आप का पालन आमंत्रित किया जाएगा, अल्लाह अनुदान देगा क्या आप कोई अच्छा इनाम, और अगर तुम वापस मोड़ के रूप में तुम वापस करने से पहले हो गया, वह एक दर्दनाक सजा के साथ तुम्हें दण्ड मिलेगा. (17) इस अंधे में कोई बुराई नहीं है, और न ही वहाँ लंगड़े में कोई बुराई है, और न ही वहां के बीमार (अगर वे नहीं जाते निर्गत); और जो कोई भी अल्लाह और उसकी मैसेंजर आज्ञा मानता है, वह उसे करने के लिए कारण होगा कोई नुकसान होता है जिसके नीचे नदियों का प्रवाह है, और जो कोई भी पीछे पड़ जाता है, वह एक दर्दनाक सजा के साथ उसे दंडित करेंगे उद्यान दर्ज करें. (18) निश्चित रूप से अच्छी तरह अल्लाह के विश्वासियों के साथ जब वे तुम्हें करने के लिए पेड़ के नीचे निष्ठा कसम खाई खुश था, और वह जो उनके दिल में पता था, तो वह उन पर और शांति को भेजे एक के पास जीत के साथ, उन्हें पुरस्कृत (19) और वे जो लगेगा कई अधिग्रहण और अल्लाह ताकतवर, समझदार है. (20) अल्लाह, और जो तुम्हें लगेगा वह तुम्हारे लिए यह एक पर hastened और तुम से पुरुषों के हाथ वापस आयोजित आप कई अधिग्रहण, तो वादा किया कि वह विश्वासियों के लिए एक संकेत हो सकता है और कहा कि वह एक सही पर आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं रास्ता. (21) और तुम अभी तक की गई अल्लाह जरूर उन्हें शामिल है को प्राप्त करने के लिए सक्षम नहीं है, जो दूसरों को, और अल्लाह सब चीजों से अधिक बिजली की है. (22) और अगर जो तुम्हारे साथ है, वे निश्चित रूप से बदल जाएगा लड़ना नास्तिकता करना (उनकी) पीठ है, तो वे किसी भी रक्षक या एक मददगार नहीं मिल जाता. (23) इस तरह के अल्लाह की है कि वास्तव में पहले भाग गई है कि पाठ्यक्रम की गई है, और तुम अल्लाह के पाठ्यक्रम में परिवर्तन नहीं मिल जाएगा. (24) और वह है तुम्हें कौन से अपने हाथ वापस आयोजित किया और अपने हाथों से उन्हें मक्का की घाटी में होने के बाद वह उन पर विजय तुम्हें दिया था, और अल्लाह तुम क्या कर देख रहा है. (25) यह वे कौन disbelieved और दूर पवित्र मस्जिद से बदल दिया और (बंद) प्रसाद अपने भाग्य स्थान पर पहुंचने से हुई हो, और इस विश्वास पुरुषों के लिए यह नहीं किया गया है और किसके, पता नहीं इस पर विश्वास महिलाओं, है तुम जाओ, और इस प्रकार कुछ घृणित अपने खाते में ज्ञान के बिना आप पीड़ित हो सकता है पुराना हो सकता है - ताकि अल्लाह whomsoever वह चाहे उसकी दया में प्रवेश करने का कारण हो सकता है, और वे व्यापक रूप से एक दूसरे से अलग हो गया था, हम निश्चित रूप से उन लोगों को दंडित किया होता जो उन के बीच में एक दर्दनाक सजा से disbelieved. (26) जब जो उनके दिल के (भावनाओं) तिरस्कार में harbored disbelieved, (के दिन) अज्ञानता का तिरस्कार, लेकिन अल्लाह उनकी मैसेंजर पर उनका शांति नीचे भेजा और विश्वासियों पर, और उन की रक्षा का वचन रख दिया ( बुराई) के खिलाफ हैं, और वे इसे करने के हकदार थे और वह लायक है, और अल्लाह सब बातों के बारे में माहिर है. अगर अल्लाह, सुरक्षा में, (कुछ) उनके सिर और (अन्य) अपने बाल कटवा कर मुंडा होने चाहे (27) निश्चित रूप से अल्लाह उसकी मैसेंजर सच्चाई के साथ दृष्टि: क्या आप निश्चित रूप से सबसे पवित्र मस्जिद में प्रवेश करेगा करने के लिए, दिखाई थी, आप नहीं होगा डर है, लेकिन वह तुम्हें क्या पता नहीं है जानता है, तो उन्होंने कहा कि पहले एक के पास जीत के बारे में लाया. (28) वह इसे कौन मार्गदर्शन और सच्चे धर्म के साथ कि वह यह सभी धर्मों के ऊपर प्रबल बना मई उनकी मैसेंजर भेजा है, और अल्लाह पर्याप्त एक गवाह के लिए है. (29) मुहम्मद अल्लाह के मैसेन्जर है, और वे उसके साथ अविश्वासियों के खिलाफ दिल की फर्म है, आपस में अनुकंपा, तुम उन्हें, नीचे झुकने स्वयं prostrating देखेंगे, अल्लाह और खुशी से अनुग्रह प्राप्त करने, उनका निशान उनके चेहरे में हैं क्योंकि साष्टांग प्रणाम के प्रभाव की; कि Taurat में उनके वर्णन और Injeel में वर्णन है, बीज के रूप में की तरह है कि आगे अपनी उपज अंकुर कहते हैं, तो फिर, तो यह कड़ा हो जाता है और दृढ़ता से अपने स्तंभ पर खड़ा है, तो sowers delighting इसे मजबूत है कि वह उन में से खाते पर अविश्वासियों क्रुद्ध करना मई, अल्लाह उन उन के बीच में जो और, क्षमा और एक महान इनाम अच्छा है विश्वास का वादा किया है. | |
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روعة المنتدى نائبة المديرة
sms : الجنس : عدد المساهمات : 35966 تاريخ التسجيل : 10/06/2011 الموقع : بين من اختارهم قلبي العمل/الترفيه : مشرفه سابقا قسم الحمل والولاده والاستشارات الطبيه المزاج : هادئة جدا.
| موضوع: رد: سورة الفتح-ترجمه هنديه الأربعاء سبتمبر 12, 2012 9:50 pm | |
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moon_light3 نائبة المديرة
sms : رَبِّ لَا تَذَرْنِي فَرْداً وَأَنتَ خَيْرُ الْوَارِثِينَ
الجنس : عدد المساهمات : 31908 تاريخ التسجيل : 10/06/2011 الموقع : القفطان المغربي العمل/الترفيه : طالبه المزاج : هادئه جدا
| موضوع: رد: سورة الفتح-ترجمه هنديه الخميس سبتمبر 13, 2012 5:04 am | |
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د.بشرى ادارة المنتدى ودكتورة طب عام
sms : لا تنس ذكر الله. الجنس : عدد المساهمات : 39326 تاريخ التسجيل : 09/06/2011 العمل/الترفيه : طبيبة عامة في القطاع الخاص. المزاج : هادئة جدا.
| موضوع: رد: سورة الفتح-ترجمه هنديه السبت أكتوبر 06, 2012 8:48 pm | |
| طرح مميز جدا حبيبتي مووووووووووووووووووووون.. جعله الله في ميزان حسناتك ورزقك الفردوس الأعلى. | |
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moon_light3 نائبة المديرة
sms : رَبِّ لَا تَذَرْنِي فَرْداً وَأَنتَ خَيْرُ الْوَارِثِينَ
الجنس : عدد المساهمات : 31908 تاريخ التسجيل : 10/06/2011 الموقع : القفطان المغربي العمل/الترفيه : طالبه المزاج : هادئه جدا
| موضوع: رد: سورة الفتح-ترجمه هنديه الثلاثاء نوفمبر 06, 2012 6:43 am | |
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