moon_light3 نائبة المديرة
sms : رَبِّ لَا تَذَرْنِي فَرْداً وَأَنتَ خَيْرُ الْوَارِثِينَ
الجنس : عدد المساهمات : 31908 تاريخ التسجيل : 10/06/2011 الموقع : القفطان المغربي العمل/الترفيه : طالبه المزاج : هادئه جدا
| موضوع: سورة الذاريات-ترجمه هنديه الأربعاء سبتمبر 12, 2012 6:16 am | |
| ﴿ بِسْمِ اللّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ ﴾وَالذَّارِيَاتِ ذَرْوًا ﴿1﴾ فَالْحَامِلَاتِ وِقْرًا ﴿2﴾ فَالْجَارِيَاتِ يُسْرًا ﴿3﴾ فَالْمُقَسِّمَاتِ أَمْرًا ﴿4﴾ إِنَّمَا تُوعَدُونَ لَصَادِقٌ ﴿5﴾ وَإِنَّ الدِّينَ لَوَاقِعٌ ﴿6﴾ وَالسَّمَاء ذَاتِ الْحُبُكِ ﴿7﴾ إِنَّكُمْ لَفِي قَوْلٍ مُّخْتَلِفٍ ﴿8﴾ يُؤْفَكُ عَنْهُ مَنْ أُفِكَ ﴿9﴾ قُتِلَ الْخَرَّاصُونَ ﴿10﴾ الَّذِينَ هُمْ فِي غَمْرَةٍ سَاهُونَ ﴿11﴾ يَسْأَلُونَ أَيَّانَ يَوْمُ الدِّينِ ﴿12﴾ يَوْمَ هُمْ عَلَى النَّارِ يُفْتَنُونَ ﴿13﴾ ذُوقُوا فِتْنَتَكُمْ هَذَا الَّذِي كُنتُم بِهِ تَسْتَعْجِلُونَ ﴿14﴾ إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ ﴿15﴾ آخِذِينَ مَا آتَاهُمْ رَبُّهُمْ إِنَّهُمْ كَانُوا قَبْلَ ذَلِكَ مُحْسِنِينَ ﴿16﴾ كَانُوا قَلِيلًا مِّنَ اللَّيْلِ مَا يَهْجَعُونَ ﴿17﴾ وَبِالْأَسْحَارِ هُمْ يَسْتَغْفِرُونَ ﴿18﴾ وَفِي أَمْوَالِهِمْ حَقٌّ لِّلسَّائِلِ وَالْمَحْرُومِ ﴿19﴾ وَفِي الْأَرْضِ آيَاتٌ لِّلْمُوقِنِينَ ﴿20﴾ وَفِي أَنفُسِكُمْ أَفَلَا تُبْصِرُونَ ﴿21﴾ وَفِي السَّمَاء رِزْقُكُمْ وَمَا تُوعَدُونَ ﴿22﴾ فَوَرَبِّ السَّمَاء وَالْأَرْضِ إِنَّهُ لَحَقٌّ مِّثْلَ مَا أَنَّكُمْ تَنطِقُونَ ﴿23﴾ هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ ضَيْفِ إِبْرَاهِيمَ الْمُكْرَمِينَ ﴿24﴾ إِذْ دَخَلُوا عَلَيْهِ فَقَالُوا سَلَامًا قَالَ سَلَامٌ قَوْمٌ مُّنكَرُونَ ﴿25﴾ فَرَاغَ إِلَى أَهْلِهِ فَجَاء بِعِجْلٍ سَمِينٍ ﴿26﴾ فَقَرَّبَهُ إِلَيْهِمْ قَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ ﴿27﴾ فَأَوْجَسَ مِنْهُمْ خِيفَةً قَالُوا لَا تَخَفْ وَبَشَّرُوهُ بِغُلَامٍ عَلِيمٍ ﴿28﴾ فَأَقْبَلَتِ امْرَأَتُهُ فِي صَرَّةٍ فَصَكَّتْ وَجْهَهَا وَقَالَتْ عَجُوزٌ عَقِيمٌ ﴿29﴾ قَالُوا كَذَلِكَ قَالَ رَبُّكِ إِنَّهُ هُوَ الْحَكِيمُ الْعَلِيمُ ﴿30﴾ قَالَ فَمَا خَطْبُكُمْ أَيُّهَا الْمُرْسَلُونَ ﴿31﴾ قَالُوا إِنَّا أُرْسِلْنَا إِلَى قَوْمٍ مُّجْرِمِينَ ﴿32﴾ لِنُرْسِلَ عَلَيْهِمْ حِجَارَةً مِّن طِينٍ ﴿33﴾ مُسَوَّمَةً عِندَ رَبِّكَ لِلْمُسْرِفِينَ ﴿34﴾ فَأَخْرَجْنَا مَن كَانَ فِيهَا مِنَ الْمُؤْمِنِينَ ﴿35﴾ فَمَا وَجَدْنَا فِيهَا غَيْرَ بَيْتٍ مِّنَ الْمُسْلِمِينَ ﴿36﴾ وَتَرَكْنَا فِيهَا آيَةً لِّلَّذِينَ يَخَافُونَ الْعَذَابَ الْأَلِيمَ ﴿37﴾ وَفِي مُوسَى إِذْ أَرْسَلْنَاهُ إِلَى فِرْعَوْنَ بِسُلْطَانٍ مُّبِينٍ ﴿38﴾ فَتَوَلَّى بِرُكْنِهِ وَقَالَ سَاحِرٌ أَوْ مَجْنُونٌ ﴿39﴾ فَأَخَذْنَاهُ وَجُنُودَهُ فَنَبَذْنَاهُمْ فِي الْيَمِّ وَهُوَ مُلِيمٌ ﴿40﴾ وَفِي عَادٍ إِذْ أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمُ الرِّيحَ الْعَقِيمَ ﴿41﴾ مَا تَذَرُ مِن شَيْءٍ أَتَتْ عَلَيْهِ إِلَّا جَعَلَتْهُ كَالرَّمِيمِ ﴿42﴾ وَفِي ثَمُودَ إِذْ قِيلَ لَهُمْ تَمَتَّعُوا حَتَّى حِينٍ ﴿43﴾ فَعَتَوْا عَنْ أَمْرِ رَبِّهِمْ فَأَخَذَتْهُمُ الصَّاعِقَةُ وَهُمْ يَنظُرُونَ ﴿44﴾ فَمَا اسْتَطَاعُوا مِن قِيَامٍ وَمَا كَانُوا مُنتَصِرِينَ ﴿45﴾ وَقَوْمَ نُوحٍ مِّن قَبْلُ إِنَّهُمْ كَانُوا قَوْمًا فَاسِقِينَ ﴿46﴾ وَالسَّمَاء بَنَيْنَاهَا بِأَيْدٍ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ ﴿47﴾ وَالْأَرْضَ فَرَشْنَاهَا فَنِعْمَ الْمَاهِدُونَ ﴿48﴾ وَمِن كُلِّ شَيْءٍ خَلَقْنَا زَوْجَيْنِ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُونَ ﴿49﴾ فَفِرُّوا إِلَى اللَّهِ إِنِّي لَكُم مِّنْهُ نَذِيرٌ مُّبِينٌ ﴿50﴾ وَلَا تَجْعَلُوا مَعَ اللَّهِ إِلَهًا آخَرَ إِنِّي لَكُم مِّنْهُ نَذِيرٌ مُّبِينٌ ﴿51﴾ كَذَلِكَ مَا أَتَى الَّذِينَ مِن قَبْلِهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا قَالُوا سَاحِرٌ أَوْ مَجْنُونٌ ﴿52﴾ أَتَوَاصَوْا بِهِ بَلْ هُمْ قَوْمٌ طَاغُونَ ﴿53﴾ فَتَوَلَّ عَنْهُمْ فَمَا أَنتَ بِمَلُومٍ ﴿54﴾ وَذَكِّرْ فَإِنَّ الذِّكْرَى تَنفَعُ الْمُؤْمِنِينَ ﴿55﴾ وَمَا خَلَقْتُ الْجِنَّ وَالْإِنسَ إِلَّا لِيَعْبُدُونِ ﴿56﴾ مَا أُرِيدُ مِنْهُم مِّن رِّزْقٍ وَمَا أُرِيدُ أَن يُطْعِمُونِ ﴿57﴾ إِنَّ اللَّهَ هُوَ الرَّزَّاقُ ذُو الْقُوَّةِ الْمَتِينُ ﴿58﴾ فَإِنَّ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا ذَنُوبًا مِّثْلَ ذَنُوبِ أَصْحَابِهِمْ فَلَا يَسْتَعْجِلُونِ ﴿59﴾ فَوَيْلٌ لِّلَّذِينَ كَفَرُوا مِن يَوْمِهِمُ الَّذِي يُوعَدُونَ ﴿60﴾
अल्लाह, तो परोपकारी है, दयालु के नाम पर. (1) मैं हवा की कसम खाता हूँ कि scatters दूर और चौड़े अंतरिक्ष में (2) तो उन बादलों को लोड (का असर मिनट चीजें). (3) तो उन (जहाज) है कि आसानी से खिसकना, कौन) हमारे आदेश द्वारा आशीर्वाद वितरित (4) तो उन (स्वर्गदूतों; (5) आप के साथ क्या कर रहे हैं धमकी सबसे निश्चित रूप से सही है, (6) और निर्णय के बारे में सबसे ज़रूर आना चाहिए. (7) मैं स्वर्ग तरीकों से भरा द्वारा कसम खाता हूँ. (8) ज्यादातर निश्चित रूप से आप प्रत्येक आप क्या कहना में अन्य के साथ विचरण में कर रहे हैं, (9) वह दूर से जो दूर कर दिया जाएगा बदल दिया है. (10) शापित झूठे, हो (11) कौन एक खाई अज्ञानता () बेपरवाह की; में हैं (12) वे पूछना: जब न्याय के दिन है? (13) (यह है) जिस पर वे आग पर की कोशिश की जाएगी कि दिन. (14) स्वाद अपने उत्पीड़न! यह आप पर क्या जल्दी होता है. (15) निश्चित रूप से जो लोग बुरी () के खिलाफ गार्ड बगीचों और फव्वारे में किया जाएगा. (16) उनके भगवान उन्हें क्या लेना देता है, निश्चित रूप से वे कहते हैं कि पहले थे, अच्छे के doers. (17), लेकिन वे रात में सोने के लिए बहुत कम थे. (18) और वे माफी पूछा सुबह. (19) और उनकी संपत्ति में कौन है और उसे begs एक हिस्से को उससे होने के कारण () अच्छे से इनकार किया है, जो था. (20) और पृथ्वी में जो लोग यकीन कर रहे हैं के लिए संकेत कर रहे हैं, (21) और अपनी स्वयं की आत्मा में (भी), तुम तो नहीं देखेंगे? (22) और स्वर्ग में अपनी जीविका है और आप के साथ क्या धमकी दी है. (23) और यहोवा ने आकाश और पृथ्वी के द्वारा! यह सबसे जरूर सच है, तो बस के रूप में तुम बात करते हैं. (24) क्या तुम वहाँ के लिए इब्राहिम के सम्मानित अतिथियों के बारे में जानकारी आई है? (25) जब वे उस पर प्रवेश किया, उन्होंने कहा: शांति. शांति ने कहा, वह एक अजीब लोग. (26) तब वह अपने परिवार के लिए चुपके से अलग कर दिया और एक मोटी (भुना हुआ लाया) बछड़ा, (27) तो वह उन के पास ले आया. उसने कहा: क्या! तुम खा नहीं होगा? (28) तो वह अपने मन उनके खाते में एक डर में कल्पना. उन्होंने कहा: डर नहीं है. और वे उसे एक लड़का ज्ञान रखने की अच्छी खबर दे दी है. (29) और उसकी पत्नी बहुत दु: ख में आया, और वह उसके चेहरे मारा और कहा: एक पुरानी बांझ औरत! (30) उन्होंने कहा: इस प्रकार अपने भगवान कहते हैं, निश्चित रूप से वह समझदार है, को जानने का. (31) उसने कहा: क्या आपके चक्कर तो, हे दूत है! (32) उन्होंने कहा, निश्चित रूप से हम एक दोषी लोगों के लिए भेजा जाता है (33) यह हम उन पर मिट्टी का पत्थर, भेज सकते हैं (34) भेजा गया अपने प्रभु आगे के लिए असाधारण से. (35) तो फिर हम आगे लाया जैसे उसमें विश्वासियों के थे. (36) पर हम नहीं मिला उसमें एक (एकल) जो प्रस्तुत के घर को बचाने (मुसलमानों). (37) और हम उसमें जो दर्दनाक सजा भय के लिए एक चिन्ह छोड़ दिया. (38) और मूसा से: जब हम Firon करने के लिए स्पष्ट अधिकार के साथ उसे भेज दिया. (39) पर वह अपने बलों के साथ कर दिया और कहा: एक जादूगर या एक पागल आदमी. (40) तो हम उसे और उसके मेजबान और समुद्र में फेंका जब्त और वह blamable था. (41) और विज्ञापन में: जब हम उन पर इस विनाशकारी हवा भेजा. (42) वह जिस पर इसे उड़ा दिया कुछ नहीं छोड़ा था, लेकिन यह राख की तरह इसे बनाया. (43) और Samood से: जब उन से कहा था: एक समय के लिए अपने आप का आनंद लें. जब उन्होंने देखा (44) पर वे अपने प्रभु की आज्ञा के खिलाफ विद्रोह किया है, इसलिए rumbling उन्हें overtook. (45) तो वे वृद्धि करने में सक्षम नहीं थे, और न ही वे खुद का बचाव कर सकता है (46) और Nuh के लोगों से पहले, निश्चित रूप से वे थे एक transgressing लोग. (47) और स्वर्ग, हम सत्ता के साथ है, और निश्चित रूप से सबसे अधिक हम चीजों के निर्माताओं पर्याप्त हो उठाया. (48) और पृथ्वी, हम इसे एक हद तक व्यापक बनाया है, कितनी अच्छी तरह तो (इसे) फैलाए हम हैं. (49) और हम जानते हैं कि आपको सचेत किया जा सकता है जोड़ी बनाई है सब कुछ. (50) इसलिए अल्लाह के लिए, निश्चित रूप से मैं तुम्हें एक सादे वॉर्नर उसके पास से उड़ रही है. (51) और अल्लाह के साथ किसी अन्य देवता स्थापित नहीं करते: निश्चित रूप से मैं तुम्हें एक सादे वॉर्नर उससे हूँ. (52) इस प्रकार वे उनके सामने से एक दूत नहीं आया था लेकिन उन्होंने कहा, एक जादूगर है या एक पागल आदमी. (53) वे एक दूसरे के साथ यह आरोप लगाया है? इनकार! वे एक असाधारण लोग हैं. (54) तो दोष नहीं है आप के लिए उन पर अपनी पीठ बारी; (55) और याद दिलाने के लिए जारी रहती है, तो निश्चित रूप से अनुस्मारक लाभ विश्वासियों के लिए. (56) और मुझे लगता है कि वे मेरी सेवा चाहिए जिन्न और अलावा पुरुषों नहीं बनाई है. (57) मैं कोई उपजीवन उनसे इच्छा नहीं है और मैं इच्छा है कि वे मुझे खिलाना चाहिए नहीं है. (58) निश्चित रूप से अल्लाह को जीविका का Bestower है, यहोवा बिजली, मजबूत की. (59) तो निश्चित रूप से जो लोग अन्याय कर रहे हैं, इसलिए उनके साथियों के हिस्से की तरह एक हिस्सा होगा उन्हें मुझ पर शीघ्रता से पूछना नहीं करते हैं. उन लोगों के लिए वे कौन से जो धमकी दी है उनके दिन की वजह से नास्तिकता करना (60) इसलिए हाय. | |
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روعة المنتدى نائبة المديرة
sms : الجنس : عدد المساهمات : 35966 تاريخ التسجيل : 10/06/2011 الموقع : بين من اختارهم قلبي العمل/الترفيه : مشرفه سابقا قسم الحمل والولاده والاستشارات الطبيه المزاج : هادئة جدا.
| موضوع: رد: سورة الذاريات-ترجمه هنديه الأربعاء سبتمبر 12, 2012 9:51 pm | |
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moon_light3 نائبة المديرة
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الجنس : عدد المساهمات : 31908 تاريخ التسجيل : 10/06/2011 الموقع : القفطان المغربي العمل/الترفيه : طالبه المزاج : هادئه جدا
| موضوع: رد: سورة الذاريات-ترجمه هنديه الخميس سبتمبر 13, 2012 5:04 am | |
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د.بشرى ادارة المنتدى ودكتورة طب عام
sms : لا تنس ذكر الله. الجنس : عدد المساهمات : 39326 تاريخ التسجيل : 09/06/2011 العمل/الترفيه : طبيبة عامة في القطاع الخاص. المزاج : هادئة جدا.
| موضوع: رد: سورة الذاريات-ترجمه هنديه السبت أكتوبر 06, 2012 8:47 pm | |
| طرح مميز جدا حبيبتي مووووووووووووووووووووون.. جعله الله في ميزان حسناتك ورزقك الفردوس الأعلى. | |
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moon_light3 نائبة المديرة
sms : رَبِّ لَا تَذَرْنِي فَرْداً وَأَنتَ خَيْرُ الْوَارِثِينَ
الجنس : عدد المساهمات : 31908 تاريخ التسجيل : 10/06/2011 الموقع : القفطان المغربي العمل/الترفيه : طالبه المزاج : هادئه جدا
| موضوع: رد: سورة الذاريات-ترجمه هنديه الثلاثاء نوفمبر 06, 2012 6:46 am | |
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